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एक तरफ एक विशाल भारतीय जन-समुदाय अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों को लेकर भावुक है, दूसरी तरफ सत्ताधारी वोट बटोरने के चक्कर में इन मंदिरों पर हुए बर्बर आक्रमण और ऐतिहासिक सत्य को सत्य कहने में भी हिचकिचा रहे हैं तथा अल्पसंख्यक हितों की रक्षा के नाम पर एक चोट को सहला-सहला कर कैंसर में बदल देना चाहते हैं। पड़ोसी देशों में पुनरुद्धार या विकास के नाम पर धड़ाधड़ राम, कृष्ण एवं शिव मंदिरों को ढहाया जा रहा है। शीतला माता मंदिर या ढाकेश्वरी माता के मंदिरों का स्थानांतरण किया गया है। ऐसा नहीं कि ये हमले आज ही हो रहें हैं। दरअसल इन हमलों का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। ईश्वर, अल्लाह और गॉड को एक ही परम सत्ता के भिन्न-भिन्न नाम माननेवाला हिंदू अपनी उदारता और विश्वास की व्यापकता के कारण बहुदेववादी भी है, मूर्तिपूजक भी है और साथ ही परम सत्ता की मनोरम अभिव्यक्ति प्रकृति को भी उसी का एक रूप मान पूजता है। यह हिंदू आचार-विचार की व्यापकता है। कण-कण में व्याप्त एक अव्यक्त सत्ता।... मंत्रों और ऋचाओं की ऊर्जा से संपूरित मंदिर और मंदिर क्षेत्र ध्वस्तीकरण अथवा आक्रमण की बारंबारता के बिंदु बने।’’
—इसी संग्रह से
ललित निबंधों के माध्यम से जन-जन के हृदय में बसे राम को देखने, जानने और अनुभव करने का एक सर्वथा अनूठा प्रयोग है यह पुस्तक, जो हर आयु वर्ग के पाठकों को समान रूप से रुचिकर लगेगी।
जन्म : 15 मार्च, 1962 को ग्राम कोतवालपुर, पो. मुफ्तीगंज, जौनपुर में।
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेजी), बी.एड, पी-एच.डी.।
प्रकाशन : ‘चिटके आकाश का सूरज’, ‘अभी ठहरो अंधी सदी’, ‘आदिमगंध तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पथ-दंश’, ‘चुप चंतारा रोना नहीं’, ‘प्रेम संबंधों की कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘प्रथम छंद से स्वप्न’, ‘प्रस्थानत्रयी’, ‘प्यार लौटना चाहेगा’ (कविता संग्रह); ‘यमदीप’, ‘तेभ्यः स्वधा’, ‘गेशे जंपा’, ‘अनुपमेय शंकर’, ‘अवर्ण महिला कांस्टेबल की डायरी’, ‘ईहामृग’, ‘धन्यवाद सिवनी’, ‘रात्रिकालीन संसद्’ (उपन्यास); ‘चैत चित्त मन महुआ’, ‘साँझी फूलन चीति’, ‘रेडियो का कला पक्ष’, ‘हिंदी साहित्य का ओझल नारी इतिहास (सन् 1857-1947)’, ‘साहित्य और संस्कृति की पृष्ठभूमि’। विविध कृतियों का अनुवाद। कुछ रचनाएँ विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल।
पुरस्कार-सम्मान : ‘सर्जना पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘म.प्र. साहित्य अकादमी पुरस्कार, ‘शंकराचार्य पुरस्कार’, ‘शैलेश मटियानी राष्ट्रीय कथा पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान’।
संप्रति : कार्यक्रम अधिशासी, आकाशवाणी (प्रसार भारती)।
इ-मेल: neerjamadhav@gmail.com
मो. : 09792411451