₹350
मीरा जायसवाल का बचपन और किशोरावस्था उत्तर प्रदेश के कस्बे, शहरों और गंगा की लहरों पर किलोल करते हुए बीता। उनकी रगों में कस्बाई भाषा, संस्कृति, मुहावरे और कजरी बसी है। बंसीलाल, अनंतलाल, प्रकाशवती, लता, स्वर्णा और नन्ही फूआ इसी मिट्टी से जुड़े किरदार हैं। नन्ही फूआ की बाल-सुलभ नादानी या बाल-विवाह जैसी कुरीतियों के कारण अच्छे दिनों ने साथ भले ही छोड़ दिया हो, पर कभी न खत्म होनेवाला पश्चात्ताप हमेशा उनका सहचर बना रहा।
बंशीलाल, अनंतलाल, प्रकाशवती ऐसे किरदार हैं, जिन्होंने विलायत से उच्च शिक्षा प्राप्त की। सभी प्रतिष्ठित और धनाढ्य वर्ग के इन किरदारों के निजी जीवन का बदरंग चेहरा भी इसी कस्बाई मिट्टी से गढ़ा है।
दीर्घायु और खिलाड़ी के जीवन का नीरजा के व्यक्तित्व पर इतना गहरा असर पड़ा कि जीवन भर बात-बात पर कहकहे लगानेवाली, लेकिन किसी भी प्रेमपत्र को देखकर आपे से बाहर हो जानेवाली उनकी अविश्वसनीय एवं नितांत विरोधी प्रवृत्ति लोगों की समझ से परे थी।
स्विट्जरलैंड में रहने के बाद मीरा जायसवाल को फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन और बेनेजुयेलियन संस्कृति को भी देखने-जानने का अवसर मिला। फ्रोसुआ, इसी स्विट्जरलैंड के रनो शहर के इर्द-गिर्द बसा एक किरदार है। अपने निष्कलुष, निश्छल और बाल-सुलभ चरित्र के बाँकपन के साथ वह भी यहाँ उपस्थित है।
‘येनांगविकारः’ कहानी किन्नरों के जीवन की उन परतों को उधेड़ती है, जिससे हम कभी रूबरू हुए ही नहीं। इस कहानी के किरदार लता और मोहित उन अपराधों का दंड भुगत रहे हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं, जबकि स्वर्णा अपनी झोली में आए उस अप्रत्याशित हर्ष के साथ हैं, जो किसी किन्नर के लिए अकल्पनीय है।
__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
भूमिका—7
आभार—9
1. येनांगविकार:
2. सजनवा बैरी हो गए हमार—41
3. जोड़ियाँ जग थोड़ियाँ —64
4. समरथ को नहिं दोष गुसाईं?—80
5. मेरा सिनेमाई खत—99
6. सफरगाथा गोलगप्पों की —130
7. मिशियो फ्रोंसुआ शोजों —137
8. सराहना तेरो कितनो नाम!—156
उत्तर प्रदेश के मीरजापुर में 19 जून, 1948 को एक मध्यम परिवार में जन्म। बी.ए., बी.एड. तक की शिक्षा-दीक्षा वहीं। विवाहोपरांत जमशेदपुर में एम.ए. की पढ़ाई। टिस्को के शिक्षा-विभाग में सत्ताईस वर्षों तक अध्यापन। यहीं रंगकर्म में सक्रियता। जीवन के अवरोह काल में मुंबई-पुणे में निवास के बाद संप्रति स्विट्जरलैंड में निवास।
इ-मेल :
meera.rasguni@gmail.com