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"यह पुस्तक पाठकों को महान् तमिल संत तिरुवल्लुवर रचित कालजयी ग्रंथ 'तिरुक्कुरल' के चुनिंदा नीति- वचनों में छुपी प्रबंधन की बारीकियों से समकालीन सहज-सरल उदाहरणों के माध्यम से अवगत कराती है। प्राचीन काल के राजाओं और मंत्रियों के लिए संत तिरुवल्लुवर ने तिरुक्कुरल में जो नीति- वचन (कुरल) लिखे, वे आज के संगठनों के सी.ई.ओ. और कार्यकारी अधिकारियों पर भी सटीक बैठते हैं।
ये कुरल ज्ञान के अमूल्य मोतियों के समान हैं और इन्हें पुरातन बुद्धिमत्ता या नेटिव इंटेलिजेंस (एन.आई.) का पर्याय भी माना जा सकता है। इस पुस्तक के साठ अध्यायों में तिरुक्कुरल के चुने हुए साठ कुरल में छुपे ज्ञान को हमारे आसपास होने वाली दिन- प्रति-दिन की घटनाओं से समझाया गया है। अपने कर्मक्षेत्र में कुशल प्रबंधन के लिए पाठक इनका प्रभावी रूप से उपयोग कर सकते हैं।
छोटे-छोटे उद्धरणों, घटनाओं, कथानकों और अनुभवों के ताने-बाने में बुनी गई यह पुस्तक कार्यालयीन प्रभावशीलता के उपायों की सरस विवेचना करती है। संगठनों के प्रबंधकों व नेतृत्व के पदों पर आसीन पदाधिकारियों व उद्यमियों के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी साबित होगी।"