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Yog Dwara Swastha Jeevan

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Author B.K.S.Iyengar
Features
  • ISBN : 9789350480946
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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More Information

  • B.K.S.Iyengar
  • 9789350480946
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2019
  • 328
  • Hard Cover
  • 635 Grams

Description

योग द्वारा स्वस्थ जीवन—बी.के.एस. आयंगर‘योग’ एक तपस्या है। शरीर को निरोग एवं सशक्‍त बनाने की एक संपूर्ण विधि है ‘योग’। योग असाध्य रोगों को भी दूर भगाता है। आज संसार भर के लोग योग और इसके चमत्मकारी प्रभावों के प्रति आकर्षित हैं। विश्‍वप्रसिद्ध योगगुरु बी.के.एस. आयंगार की इस पुस्तक ‘योग द्वारा स्वस्थ जीवन’ में आसन किस प्रकार किए जाएँ, किस प्रकार होनेवाली गलतियों को टाला जा सकता है और अधिकतम लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है, इन बातों को आम लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है।
योग के द्वारा कैसे व्यक्‍तियों का उपचार किया जाए, इसका त्रुटिहीन अभ्यास करते हुए अधिकाधिक लाभ कैसे प्राप्‍त किया जाए—इसका सचित्र वर्णन किया गया है।
पुस्तक का उपयोग करना आसान व सरल हो, इस दृष्‍टि से पुस्तक के अंत में दो परिशिष्‍ट जोड़े गए हैं। परिशिष्‍ट 1 में आसन क्रमांक और आसनों के नाम देकर उनका वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया है। परिशिष्‍ट 2 में किस रोग में किस आसन से लाभ होगा, उनका वर्णन है।
स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखानेवाली सरल-सुबोध भाषा में योग पर एक अनुपम कृति।

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क्रम-सूची

भूमिका — 7

पुस्तक की रचना एवं तत्संबंधी सूचनाएँ — 13

सिद्धता

1. निरामय जीवन की दिशा में — 19

2. योग : एक तपस्या — 23

3. चाहिए केवल मन की तैयारी — 27

4. जरूरत है साविक साधना की — 31

5. यम-नियम — 35

6. नियमावली — 38

हाथ

7. कर्तृत्व-संपन्न हाथ — 43

8. हाथों की क्रिया — 50

9. शरीर का गठन (कद) — 55

10. हस्तबंध — 60

11. हस्तमुद्रा-1 — 64

12. हस्तमुद्रा-2 — 70

13. गरदन का दर्द हरने के उपाय-1 — 76

14. गरदन का दर्द हरने के उपाय-2 — 81

15. गरदन की अंतर्वक्रता  — 86

16. उत्तिष्ठ स्थिति में पश्चिम प्रतन — 91

17. झुकता उानासन  — 96

18. स्नायुओं का समुचित गठन — 102

19. हाथों का विश्राम — 107

पैरों में दर्द

20. पैरों में दर्द — 115

21. पैरों का दर्शन — 119

22. पैरों में सदोषता — 125

23. सुप्त स्थिति में रीढ़ की रचना — 130

24. सुप्त पादांगुष्ठासन — 135

25. घुटनों के जोड़-1 — 141

26. घुटनों के जोड़-2 — 146

27. वीरासन — 151

28. उपयुत बद्धकोणासन — 156

29. उपयुत शवासन — 162

पीठ

30. पीठ का दर्द — 169

31. स्वस्थ कमर — 173

32. कमर दर्द का उपचार-1 — 178

33. कमर दर्द का उपचार-2 — 181

34. उत्तिष्ठ वर्ग के आसन-1 — 190

35. उत्तिष्ठ वर्ग के आसन-2 — 195

36. उत्तिष्ठ वर्ग की परिवृ क्रियाएँ — 201

37. त्रिविक्रम क्रिया — 209

38. पवनमुत क्रिया-1 — 216

39. पवनमुत क्रिया-2 — 222

पाचन संस्थान

40. अन्न मार्ग की निगरानी — 231

41. उपाश्रयी आसन — 235

42. सुप्त स्थिति के आसन — 242

43. शांति की ओर परायण — 249

44. पश्चिम प्रतन आसन — 256

45. परिवृ क्रिया — 263

सिर

46. सिर दर्द — 275

47. शिरोनेत्र पट्टबंध — 279

48. तनाव का प्रतिरोध — 287

49. विपरीत क्रिया — 295

श्वसन संस्थान

50. श्वसन मार्ग का स्वास्थ्य — 303

51. श्वसन संस्थान का स्वास्थ्य — 306

समापन — 314

परिशिष्ट 1 — 319

परिशिष्ट 2 — 322

The Author

B.K.S.Iyengar

जन्म 24 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के कोलार जिले के बेलूर नामक स्थान में हुआ। पंद्रह वर्ष की अल्पायु में योग सीखना प्रारंभ किया और 1936 में मात्र अठारह वर्ष की आयु में धारवाड़ के कर्नाटक कॉलेज में योग सिखाना प्रारंभ किया।
आजीवन योग के प्रति समर्पण एवं सेवाभाव के साथ निस्स्वार्थ कार्यरत; अनेक सम्मान एवं उपाधियों से विभूषित। वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’ और जनवरी 2002 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित। अगस्त 1988 में अमेरिका की ‘मिनिस्ट्री ऑफ फेडरल स्टार रजिस्ट्रेशन’ ने सम्मान-स्वरूप उत्तरी आकाश में एक तारे का नाम ‘योगाचार्य बी.के.एस. आयंगार’ रखा।
सन् 2003 में ‘ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ में आधिकारिक तौर पर नाम सम्मानित।
सन् 2004 में अमेरिकन ‘टाइम मैगजीन’ द्वारा ‘हीरोज एंड आइकंस’ उपशीर्षक से विश्‍व के सर्वाधिक शक्‍तिशाली और प्रभावशाली व्यक्‍तियों की सूची में सम्मिलित।
आधुनिक भारत के योग विषय के भीष्म पितामह के रूप में प्रसिद्धि। विश्‍व के अनेक ख्यात एवं लब्धप्रतिष्‍ठ व्यक्‍ति शिष्य रहे हैं।

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