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इस पुस्तक को सभी प्रकार के लोग पढ़ेंगे । योगासन से सम्बन्धित यह पुस्तक न तो पहली है और न अद्भुत; परन्तु यह पुस्तक परम्पराओं से हटकर अवश्य है । पाठकों को यह इसलिए भी रुचिकर लगेगी, क्योंकि वे इस पुस्तक के माध्यम से बिना किसी गुरु के ही ' योगासन ' और ' प्राणायाम ' सीख सकेंगे । अन्य उपलब्ध पुस्तकों से कुछ अधिक जानकारी, अधिक सहजता और अधिक सावधानियां इस पुस्तक में दी जा रही है । सरलतम और अत्यावश्यक योगासन ही इसमें दिये जा रहे हैं ।
अधिक विस्तृत जानकारियां सभी स्तर के पाठकों को ध्यान में रखकर ही दी जा रही हैं, जिससे आपको कम-से-कम परेशानी हो और आप अधिक-से- अधिक लाभ प्राप्त कर सकें; चिकित्सक और रोगी इन जानकारियों का लाभ ले सकें ।
- इसी पुस्तक से
अति सरल भाषा, विशिष्ट शैली, गम्भीरतम वैज्ञानिक विश्लेषण और सुबोध व्याख्या स्वामी अक्षय आत्मानन्दजी की पुस्तकों की ऐसी विशेषता है कि पाठक उनकी योग सम्बन्धी पुस्तकों की बार-बार मांग करते हैं । आप भी एक बार यदि किसी एक ग्रन्थ को पढ़ लेंगे तो सदैव स्वामी जी का साहित्य ही मांगेंगे । हमें विश्वास है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप भी योग विद्या में स्वयं काा प्रवीण कर सकेंगे।
वर्तमान जीवन-व्यवस्था ऐसी हो गई है कि आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति किसी- न-किसी रोग से ग्रस्त है । जिन रोगों के बारे में हमने कभी सुना भी नहीं था, अब उन्हें देखना ही नहीं, भोगना भी हमारी विवशता बनती जा रही है । संपूर्ण संसार में हजारों चिकित्सा-पद्धतियाँ विकसित हो चुकी हैं । इनके साथ-साथ उन्नत चिकित्सकीय यंत्र एवं उपकरण तथा अद्भुत जीवन रक्षक दवाएँ विकसित कर ली गई हैं, फिर भी आज का मानव नाना रोगों से पीड़ित जीने को विवश है । अत : इन रोगों का कारण क्या है, यह जानना अत्यावश्यक हो गया है । इसका प्रमुख कारण है-हमारा असंयमित- असंतुलित आहार ।
हमें क्या खाना चाहिए, क्यों खाना चाहिए, कब खाना चाहिए, कितना खाना चाहिए-ऐसे अनेक गंभीर प्रश्नों का समाधान स्वामीजी ने प्रस्तुत पुस्तक ' आहार चिकित्सा ' में बड़ी ही सरल, सुगम व बोधगम्य भाषा में प्रभावपूर्ण ढंग से किया है । स्वामीजी का मानना है कि दैनिक खान- पान से ही अच्छा उपचार किया जा सकता है । स्वामीजी द्वारा सुझाई गई बातों को अगर आप ध्यानपूर्वक आत्मसात् करेंगे, धैर्य और शांति से उनका अनुसरण करेंगे तो निश्चय ही बीमार होने की नौबत नहीं आएगी ।
हमें विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक पाठकों का आहार चिकित्सा संबंधी ज्ञानवर्द्धन तो करेगी ही, उन्हें पूर्णतया स्वस्थ रखने में भी महती भूमिका अदा करेगी ।