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"रामराज्य की परिकल्पना एक आदर्श व्यवस्था का प्रतीक है। रामराज्य ऐसे क्षेत्र की संपूर्ण परिभाषा है, जहाँ हर क्रियाकलाप एक-दूसरे के सामंजस्य से पूरा होता है। रामराज्य की संकल्पना जनहित और सर्वसमावेशी व्यवस्था पर आधारित है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार सँभालने के बाद पाँच वर्ष की अवधि में महंत योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किए और एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप दिया। उनके शासन के पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अपने सांस्कृतिक वैभव के विराट् स्वरूप के दर्शन कराए और आधुनिक राज्य की पहचान को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की आम जनमानस तक सहज सुलभता और विकास के नए कीर्तिमान उस रामराज्य की अवधारणा को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें जनकल्याण ही सर्वोपरि है।
पाँच वर्ष के दौरान सत्ता की दृढ़ता, दूरदर्शिता, सजग प्रबंधन, संवेदनशीलता से परिस्थितियाँ ऐसे परिवर्तित हुईं कि उत्तर प्रदेश उद्योगपतियों, पूँजी निवेशकों, कॉरपोरेट सेक्टर का सर्वप्रिय राज्य बन गया है।"
चेतना नेगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पाँच साल के सुशासन पर आधारित पुस्तक “योगी रामराज्य' की लेखिका चेतना नेगी मूल रूप से सामाजिक सरोकारों को समर्पित रही हैं।
बाल्यकाल में लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से कई बार भेंट। देहरादून से बारहवीं की शिक्षा प्राप्त करने के बाद गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध एम.के.पी. कॉलेज से 2001 में स्नातक और 2003 में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया, इसके बाद 2008 में सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की । पाँच साल नोएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य भी किया।
चेतना नेगी ने सामाजिक सरोकारों को लेकर एक बड़ी पहल करते हुए 2012 में 'हिल-मेल फाउंडेशन ' की स्थापना की। वह इस फाउंडेशन की संस्थापक और संचालक हैं। इस संस्था की ओर से बड़े पैमाने पर उत्तराखंड में रिवर्स पलायन की मुहिम चलाई जा रही है। वह दिल्ली और देहरादून से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका 'हिल-मेल ' की प्रबंध निदेशक भी हैं।
वर्तमान में दिल्ली में रहनेवाली चेतना नेगी के पति मनजीत नेगी न्यूज चैनल 'आजतक ' के एडिटर हैं । परिवार में उनकी एक बेटी सारा हैं। चेतना नेगी के पिता स्व. जे.बी. सिंह सत्र न्यायाधीश रहे हैं और माता महेंद्र कुमारी झाँसी से हैं ।