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देवी अहिल्याबाई होल्कर के व्यक्तित्व व कृतित्व का कितने लोगों ने अनुसरण किया ? कितनों ने उनके पदचिह्नों पर चलने का प्रण किया ? या यों कहें कि तेजस्विनी, तपस्विनी व आदर्श लोकमाता को कितनों ने अपना आदर्श बनाया ?
ऐसी ही जिज्ञासाओं की एक रचनात्मक गाथा है यह ऐतिहासिक उपन्यास 'युगंधरा अहिल्याबाई होल्कर', जिसमें एक स्त्री दूसरी स्त्री के साथ मित्रवत् व्यवहार कर माता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन-दर्शन को आदर्श बनाकर जीवन की दुःखमयी धारा से उबरकर, एक ऐसा इतिहास रचती है, जो लोकमाता के जीवन से उपजी रोशनी का महत्त्वपूर्ण अनुकरणीय आयाम सिद्ध होता है।
यह उपन्यास शिवयोगिनी, कर्मयोगिनी, प्रजाहितकारिणी, न्यायदायिनी, तेजस्विनी, रणरागिनी, होल्कर कीर्तिध्वजा व युगंधरा माता अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न पक्षों के लोकजन पर पड़ने वाले प्रभावों का एक लेखा-जोखा है, जो प्रेरणा का रूप धारण कर युगों-युगों तक जनचर्चा का विषय बनकर इस पृथ्वीलोक के निवासियों का पथप्रदर्शन करता रहेगा।