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आकाश : बात यह है पापा, नौजवान पीढ़ी की सोच में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहा है। अब वह बड़ों की हर बात का समर्थन करने को तैयार नहीं है।
कैलाश : तुम्हारा तात्पर्य है कि श्रद्धा का ह्रास हो रहा है।
आकाश : हाँ, क्योंकि श्रद्धा का अर्थ है अंधविश्वास और हम कोरे अंधविश्वास का समर्थन नहीं कर सकते।
कैलाश : नहीं आकाश, तुम्हें धोखा हुआ है। श्रद्धा का अर्थ अंधविश्वास कदापि नहीं हो सकता!
आकाश : क्यों, क्या श्रद्धा यह नहीं सिखाती कि जिसके प्रति श्रद्धा रखो, उसकी हर बात मानो? उसके उपदेशों का अक्षरश: पालन करो?
कैलाश : नहीं, श्रद्धा ऐसा कभी नहीं कहती। हर बात को पहले अनुभव की कसौटी पर कसो, यदि ठीक उतरे तो उसके प्रति श्रद्धा रखो। यदि हम व्यर्थ अंधविश्वास में पड़े रहें तो इसमें बेचारी श्रद्धा का क्या दोष है?
—इसी संकलन से
आधुनिक जीवन के मशीनीकरण, स्वार्थपरता, मूल्यहीनता और अकेलेपन के एहसास में जबरन जीते और जी का जंजाल बनते रिश्तों की विचारोत्तेजक विवेचना करनेवाले ये एकांकी एक बार पढ़कर आप भूल न पाएँगे। गुजरती हुई पीढ़ी के प्रौढ़ों और नवागत पीढ़ी के युवाओं के बीच संवादहीनता, सद्भाव की कमी और समरसता की समाप्ति के समकालीन संदर्भ में टूटते-बिखरते संबंधों और सहमी हुई संवेदनाओं के समय-सत्य का संकलन है—
जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्टि से प्रकाशित उनके विशिष्ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।