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‘कल करे सो आज कर, आज करे सो अब!’ यह उक्ति दूसरी अन्य चीजों की अपेक्षा जीवन के लिए आर्थिक नियोजन के संबंध में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। मूलतः नियोजन शब्द का अर्थ है—कल के उज्ज्वल भविष्य के लिए किए जानेवाले आज के यत्न! स्वाभाविक है—सेवानिवृत्ति के बाद जरूरी खर्चों का प्रावधान उन्हीं दिनों में करना चाहिए, जब हम कमाते हैं। ऐसे विचार यह कृति ‘युवावस्था में ही रिटायरमेंट प्लानिंग’ पढ़ते समय सरल, आसान और तर्कसंगत लगते हैं—वैसे हैं भी!समस्या केवल यही है कि हम लोग यह विचार प्रत्यक्ष व्यवहार में नहीं लाते! यौवनकाल में जीवन का आनंद लूटना, कमाई के आरंभिक दिनों में उत्सव मनाना, इसमें गलत क्या है? लेकिन जीवन की शुरुआत में हमें स्वयं को शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक रूप से कार्यक्षम बनाने में 15-20 वर्ष खर्च करने पड़ते हैं। बीस वर्ष प्राप्त होते ही कमाई आरंभ कर, निवृत्त होने के समय तक अपनी आय में लगातार वृद्धि करना, वृद्धि में सातत्य रखने के लिए कला-कौशल्य में खुद को अद्यतन रखना जरूरी होता है, यह बात हम भूल जाते हैं।रिटायरमेंट के बाद के जीवन की आर्थिक प्लानिंग बताती एक अत्यंत प्रैक्टिकल पुस्तक।
शिक्षा : पी-एच.डी. स्कॉलर (इंश्योरेंस), प्रोग्राम इन यौगिक स्ट्रेस मैनेजमेंट, एम.एम.एस. (मार्केटिंग): एल-एल.बी. (स्पेशल), एम.ए. (अर्थशास्त्र), एम.ए. (इंडोलॉजी), फेलो इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, सर्टिफिकेट कोर्स इन हैल्थ इंश्योरेंस, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग डिप्लोमा, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स टेस्ट क्वालीफाइड, गवर्नमेंट डिप्लोमा इन को-ऑपरेशन ऐंड एकाउंटेंसी, उद्यमशीलता विकास में डिप्लोमा, डिप्लोमा इन लेबर लॉज, राष्ट्रभाषा हिंदी पंडित, डिप्लोमा इन आई.टी. एप्लीकेशंस, सर्टिफिकेट कोर्स इन एक्सपोर्ट ऐंड इंपोर्ट, डिप्लोमा इन फ्रूट प्रोसेसिंग, योगा थेरैपी इंस्ट्रक्टर, निसर्गोपचार व आयुर्वेद पदविका।
प्रकाशन : ‘बीमा सभी के लिए’, ‘मेडिक्लेम और हैल्थ इंश्योरेंस’, ‘युवावस्था में ही रिटायरमेंट प्लानिंग।
इंश्योरेंस अकादमी पुणे तथा लोकमान्य मेडिकल फाउंडेशन के निदेशक, स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज के प्रवर्तक तथा फाइनेंस इंश्योरेंस बैंकिंग लिटरेसी इनिशिएटिव के संयोजक। अनेक प्रतिष्ठित व्यापारिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक संगठनों से विशेष संबद्धता।