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पिछले एक दशक से युवराज सिंह के लिए क्रिकेट खेल-प्रेमियों का जो प्यार व दीवानगी देखने को मिली है, उसकी तुलना अन्य किसी खिलाड़ी के प्रशंसकों से नहीं की जा सकती। बात चाहे उनकी जोशीली बल्लेबाजी, बल्लेबाज को भ्रमित करनेवाली गेंदबाजी की हो या शानदार फील्डिंग की। युवराज सिंह सदा ही बल्ले और गेंद के साथ अपने कौशल, मैदान के बाहर अपनी ग्लैमरस जीवन-शैली और सबसे अधिक हाल ही में प्राणघातक बीमारी से अपनी साहस से भरपूर लड़ाई के कारण चर्चा का विषय बने रहे।
यहाँ पर उनके जीवन की सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओं को कागज पर उतारने के पहले व अनूठे प्रयास का जिम्मा जाने-माने खेल पत्रकार व क्रिकेट प्रशासक मकरंद वैंगनकर ने सँभाला है। वैंगनकर युवराज सिंह को उनके जन्म के दिन से जानते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने युवराज के एक अबोध बालक से लेकर युवा खिलाड़ी बनने तक की सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओं को याद करने के साथ उनके प्रारंभिक खेल जीवन के उतार-चढ़ाव का भी उल्लेख किया है।
इस पुस्तक को तैयार करने में युवराज सिंह के अभिभावकों के अतिरिक्त उनके मित्रों, सहकर्मियों व वरिष्ठ खिलाडि़यों का भी भरपूर योगदान है। इस पुस्तक को वैंगनकर ने अपनी गहन अंतर्दृष्टि तथा इस विषय के साथ गहरे लगाव को आधार बनाते हुए लिखा है। एक युवा खिलाड़ी के जीवन को गहराई से जानने और शुरुआती दौर से लेकर उसके विश्व कप 2011 के विजेता बनने की सभी रोचक बातों को जानने के संदर्भ में यह पुस्तक किसी अनमोल खजाने से कम नहीं है। हमें पूर्ण विश्वास है कि पाठकों के बीच यह पुस्तक अपना विशेष स्थान बनाने में अवश्य ही सफल होगी।
मकरंद वैंगनकर का नाम भारत में क्रिकेट के कॉलम लेखकों में शामिल है। उनको सबसे अधिक क्रिकेट के पिच पर गुजारे गए अपने खेल जीवन के दौरान प्राप्त हुए अनुभवों को बड़ी ही सावधानी बरतते हुए किए गए शोध के साथ मिलाकर पेश करने के लिए जाना जाता है। वे एक पत्रकार, कॉलम लेखक, शोधकर्ता, प्रतिभा के पारखी और एक प्रशासक आदि सभी भूमिकाओं को इतनी खूबसूरती से निभाते आए हैं कि अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि इनका जन्म इन सभी भूमिकाओं के निर्वाह हेतु ही हुआ है। इन्होंने बी.सी.सी.आई. (भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड) की ओर से सन् 2002 में प्रतिभा संसाधन विकास प्रभाग (टी.आर. डी.डब्ल्यू.) की शुरुआत की, तब से लेकर टी.आर.डी.डब्ल्यू. बहुत सारे छोटे शहरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवानेवाले खिलाडि़यों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाकर प्रसिद्धि प्रदान करने हेतु, जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का नाम भी सम्मिलित है, सहभागी रहा है। वस्तुतः सन् 2011 में जिस भारतीय क्रिकेट टीम ने भारत को विश्व कप दिलवाकर गौरवान्वित किया, उसमें सात खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्रदान करने का श्रेय टी.आर. डी.डब्ल्यू. को जाता है। मकरंद बड़ौदा क्रिकेट संघ के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ अकादमी के परामर्शदाता भी हैं।