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एक कमरे में दो अजनबी बंद थे। एक था, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (दिल्ली) का छात्र। नाम था, जहरीला बनाम अजातशत्रु बनाम छगनलाल छोटालाल तालपत्री वाला। दूसरी थी, साँपों का जहर निकालनेवाली हाफकिन इंस्टीट्यूट (मुंबई) की छात्रा। नाम था, रेणु पंडित। दोनों एक-दूसरे को तौल रहे थे। कब टकराव होगा, यह कहना कठिन था। फिर भी टकराव तय था। रेणु सावधान हो गई। अजातशत्रु ने चाल बदली। रेणु शिकंजे में फँस गई। वह समय था आधी रात का।
आबिद सुरती की यह कहानी है, केवल एक रात की। एक ही रात में दोनों खुद को खोज निकालते हैं। सुबह होने तक दोनों की दुनिया ही बदल जाती है।
एक नई निराली शैली में प्रभावपूर्ण उपन्यास, जो रोमांच पैदा करता है और मानव-संबंधों की उथल-पुथल को भी उजागर करता है।
आबिद सुरती
जन्म : 1935 राजुला (गुजरात)।
शिक्षा : एस.एस.सी., जी.डी. आर्ट्स (ललित कला)।
प्रकाशन : अब तक अस्सी पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें पचास उपन्यास, दस कहानी संकलन, सात नाटक, पच्चीस बच्चों की पुस्तकें, एक यात्रा-वृत्तांत, दो कविता संकलन, एक संस्मरण और कॉमिक्स। पचास साल से गुजराती तथा हिंदी की विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में लेखन। उपन्यासों का कन्नड़, मलयालम, मराठी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली और अंग्रेजी में अनुवाद। ‘ढब्बूजी’ व्यंग्य चित्रपट्टी निरंतर तीस साल तक साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित।
दूरदर्शन, जी तथा अन्य चैनलों के लिए कथा, पटकथा, संवाद लेखन। अब तक देश-विदेशों में सोलह चित्र-प्रदर्शनियाँ आयोजित। फिल्म लेखक संघ, प्रेस क्लब (मुंबई) के सदस्य।
पुरस्कार : कहानी संकलन ‘तीसरी आँख’ को राष्ट्रीय पुरस्कार।
Email : aabidssurti@gmail.com
Web: www.aabidsurti.in
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