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Author Shriramvriksha Benipuri
Features
  • ISBN : 9788173152233
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shriramvriksha Benipuri
  • 9788173152233
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 168
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

जंजीरें फौलाद की होती हैं, दीवारें प्तत्थर की । किंतु पटना जेल में जो दीवारें देखी थीं, उनकी दीवारें भले ही पत्थर- सी लगी हों, थीं ईंट की ही । पत्थर की दीवारें तो सामने हैं - चट्टानों के ढोंकों से बनी ये दीवारें । ऊपर- नीचे, अगल-बगल, जहाँ देखिए पत्थर- ही-पत्थर । पत्थर-काले पत्थर, कठोर पत्थर, भयानक पत्थर, बदसूरत पत्थर । किंतु अच्छा हुआ कि भोर की सुनहली धूप में हजारीबाग सेंट्रल जेल की इन दीवारों का दर्शन किया । इन काली, कठोर, अलंघ्य, गुमसुम दीवारों की विभीषिका को सूर्य की रंगीन किरणों ने कुछ कम कर दिया था । संतरियों की किरचें भी सुनहली हो रही थीं । हाँ अच्छा हुआ, क्योंकि बाद के पंद्रह वर्षों में न जाने कितनी बार इन दीवारों के नीचे खड़ा होना पड़ेगा ।
किसीने कहा है, सब औरतें एक- सी । यह सच हो या झूठ, किंतु मैं कह चुका हूँ सब जेल एक-से होते हैं । सबकी दीवारें एक-सी होती हैं, सबके फाटक एक-से दुहरे होते हैं, सबमें एक ही ढंग के बड़े-चौड़े ताले लटकते होते हैं, सबको चाबियों के गुच्छे भी एक-से झनझनाते हैं और सबके वार्डर, जमादार, जेलर, सुपरिंटेंडेंट जैसे एक ही साँचे के ढले होते हैं-मनहूस, मुहर्रमी; जैसे सबने हँसने से कसम खा ली हो ।
किंतु हजारीबाग का जेल अपनी कुछ विशेषता भी रखता है । सब जेल बनाए जाते हैं अपराधियों को ध्यान में रखकर, हजारीबाग सेंट्रल जेल की रचना ही हुई थी देशभक्‍तों पर नजर रखकर ।
-इसी पुस्तक से

The Author

Shriramvriksha Benipuri

"जन्म : 23 दिसंबर, 1899 को बेनीपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार) में।
शिक्षा : साहित्य सम्मेलन से विशारद।
स्वाधीनता सेनानी के रूप में लगभग नौ साल जेल में रहे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए।
संपादित पत्र : तरुण भारत, किसान मित्र, गोलमाल, बालक, युवक, कैदी, लोक-संग्रह, कर्मवीर, योगी, जनता, तूफान, हिमालय, जनवाणी, चुन्नू-मुन्नू तथा नई धारा।
कृतियाँ : चिता के फूल (कहानी संग्रह); लाल तारा, माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब (शब्दचित्र-संग्रह); पतितों के देश में, कैदी की पत्‍नी (उपन्यास); सतरंगा इंद्रधनुष (ललित-निबंध); गांधीनामा (स्मृतिचित्र); नया आदमी (कविताएँ); अंबपाली, सीता की माँ, संघमित्रा, अमर ज्योति, तथागत, सिंहल विजय, शकुंतला, रामराज्य, नेत्रदान, गाँव का देवता, नया समाज और विजेता (नाटक); हवा पर, नई नारी, वंदे वाणी विनायकौ, अत्र-तत्र (निबंध); मुझे याद है, जंजीरें और दीवारें, कुछ मैं कुछ वे (आत्मकथात्मक संस्मरण); पैरों में पंख बाँधकर, उड़ते चलो उड़ते चलो (यात्रा साहित्य); शिवाजी, विद्यापति, लंगट सिंह, गुरु गोविंद सिंह, रोजा लग्जेम्बर्ग, जय प्रकाश, कार्ल मार्क्स (जीवनी); लाल चीन, लाल रूस, रूसी क्रांति (राजनीति); इसके अलावा बाल साहित्य की दर्जनों पुस्तकें तथा विद्यापति पदावली और बिहारी सतसई की टीका।
स्मृतिशेष : 7 सितंबर, 1968।

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