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"इस पुस्तक में मैंने जिंदगी की खूबसूरती, खूबियाँ, कमियाँ, खुशियाँ, परेशानियाँ और जिंदगी से जुड़ी कई बातों को अपने ख़यालों को मद्देनजर रखते हुए आप सबके रूबरू अपने ख़यालात पेश किए हैं। बहुत मन था जिंदगी से थोड़ी बात की जाए, जिंदगी को थोड़ा समझा जाए, बस इन्हीं ख़यालों के साथ जिंदगी को आप सबके साथ इस पुस्तक में जीने की कोशिश की है, साथ ही हम सबकी जिंदगी को समझने और समझाने की कुछ सीढ़ियाँ चढ़ी हैं। जिंदगी से थोड़ी मुलाक़ात की जाए, वह कितनी बेशक़ीमती है, उसे महसूस किया जाए।
साँसों से चल रही जिंदगी में हवा के कभी तेज़, कभी हलके झोंकों की सिहरन आप सबको थोड़ा महसूस कराने की कोशिश की है। जिंदगी से शिकवा भी किया है और अपने क़रीब रहने की खुशामद भी की है। कभी बचपन की तरह अल्हड़, कभी जवानी की तरह बदहवास, कभी बुढ़ापे की तरह जर्जर सी लगती है जिंदगी। चलिए, हम और आप मिलकर जिंदगी के हर पहलू से गुफ़्तगू (बातचीत) करते हैं। बगैर कविता, शायरी और ग़ज़ल के मुझे मेरी क़लमकारी (लेखनी) अधूरी लगती है, इसलिए मैंने बहुत सारी नज़्म और कुछ ग़ज़ल भी इस जिंदगी की शान एवं गुस्ताख़ी दोनों पर लिखी हैं। हम सबकी जिंदगी बहुत ही खूबसूरत है, जिंदगी दिलों को गुलजार करती है, जिंदगी दर्द व ख़ुशी का आईना है।
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