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वह कोई साधारण लड़की नहीं थी, बल्कि बहुत अलग और दिलचस्प लड़की थी। वह आज भी जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करती है और एक भी पल ऐसा नहीं जाने देती, जिसका वह मजा न लेती हो। वह विकलांगता (एस.एम.ए.) से पीडि़त तो थी, लेकिन इसमें वह कुछ नहीं कर सकती थी और सोचने तथा बोलने के अलावा, वह उन बच्चों की तरह थी, जो अपनी सारी जरूरतों के लिए अपनी माताओं पर निर्भर होते हैं। वह भी दूसरों पर निर्भर थी, लेकिन उसने अपनी विकलांगता को अपनी खुशी की राह में कभी आड़े नहीं आने दिया।
उसे खुद नहीं पता था कि खुदा ने आखिरकार उसे बनाने में और उसे सुंदर लड़की के रूप में बड़ा करने में कुछ समय लगाया होगा। उसने कभी अपनी खूबसूरती पर ध्यान नहीं दिया। हालाँकि बाद में, उसे दूसरों से ही यह पता लगा। लोग उसकी तारीफ करते थे और उसे सराहते थे, जिससे उसे यकीन हुआ कि वह सबसे खूबसूरत इनसानों में से एक है। वह एक लाल गुलाब की तरह है, जिसमें खुदा ने सुंदर सुगंध भर दी है।
एक दिव्यांग लड़की की प्रेरणाप्रद कहानी कि कैसे विषम परिस्थितियों में उसने हिम्मत न हारकर, अपनी अद्भुत जिजीविषा के बल पर जिंदगी को मजे से जीया और अपनी शारीरिक अक्षमताओं को बाधा नहीं बनने दिया।
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अनुक्रम | |
मेरी बात — 5 | 35. घर का ट्यूशन बढि़या लगा — 93 |
आभार — 7 | 36. शिक्षक के साथ बहुत खराब सलूक किया — 95 |
ये पुस्तक क्यों — 9 | 37. पछतावा — 98 |
1. जीनत, दुनिया को खुदा का तोहफा! — 15 | 38. स्कूल में नई टीचर — 100 |
2. असली लड़ाकू की कहानी : जीनत आरा — 19 | 39. जीनत की ड्रेस डिजाइनिंग में दिलचस्पी — 101 |
3. अन्य लोगों की तरह पढ़ने की चाहत — 21 | 40. दसवीं बोर्ड की परीक्षा — 107 |
4. शिक्षित होने की कोशिश जारी रखी — 23 | 41. जीनत ने पाए अच्छे अंक — 110 |
5. आखिरकार मेरी जिंदगी में दिखा बड़ा बदलाव — 25 | 42. आगे की प्लानिंग तय की गई — 112 |
6. एक कदम नई जिंदगी की तरफ — 28 | 43. बार-बार आती रहीं दिक्कतें — 115 |
7. मेरा नाम जीनत आरा मेरे परिवार के लिए सौभाग्यशाली रहा — 30 | 44. असुरक्षा की भावना — 116 |
8. एक खास मुलाकात — 33 | 45. खुदा ने अनअपेक्षित रूप से दिया जवाब — 117 |
9. मेरी जिंदगी में एक नए सदस्य की आमद — 35 | 46. जल्द ठीक हो गई — 121 |
10. दोस्ती का सही मतलब जाना — 38 | 47. दो दरवाजों के बीच संबंध — 130 |
11. माँ का साया — 41 | 48. खुदा का बनाया रिश्ता — 133 |
12. एक बड़ा सदमा, जिसने मुझे तोड़ दिया — 43 | 49. इम्तिहान का वक्त — 137 |
13. स्कूल सेवाएँ अच्छी से खराब होती गईं — 45 | 50. बार-बार अस्पताल में भरती होना — 139 |
14. जिंदगी की सबसे खूबसूरत चीज खोई — 47 | 51. अस्पताल में सबसे ज्यादा समय तक भरती रहना — 142 |
15. दर्दनाक रातें — 49 | 52. एकाउंटेंसी का ट्यूशन — 148 |
16. पढ़ाई के मोरचे पर दिखी उम्मीद की रोशनी — 50 | 53. फिर से अस्पताल में भरती — 150 |
17. जिंदगी में फिर आया बड़ा भारी बदलाव — 52 | 54. दोस्त के रूप में मिला मुझे राइटर — 152 |
18. साल भर घर पर बैठना — 54 | 55. रिजल्ट की घड़ी — 155 |
19. एक नई शुरुआत — 56 | 56. मेरा साल बरबाद गया — 157 |
20. जीनत एम. बी. सी. एन. स्कूल में — 59 | 57. अपनी जीवनी के लिए मुझे प्रकाशक मिला — 158 |
21. एम. बी. सी. एन. पहुँचने के बाद जिंदगी का मजा बढ़ा — 64 | 58. जो बात मुझे सबसे ज्यादा चुभी — 160 |
22. एम. बी. सी. एन. में मुझे मिले दो नए दोस्त — 66 | 59. एकाउंटेंसी का पेपर दोबारा देना पड़ा — 165 |
23. मिसेज प्रिया ने छोड़ा स्कूल — 68 | 60. बड़ा भारी परिवर्तन — 169 |
24. शिक्षण की समस्या, फिर से सामने आई — 69 | 61. मुसकराती आँखें, जो कभी दुःखी हृदय का दर्द जाहिर नहीं होने देतीं — 172 |
25. जिसे मैं सबसे ज्यादा चाहती थी, उसे ट्यूमर हो गया — 71 | 62. अल्लाह ने मुझे बुआ के लिए कुछ करने का सबसे अच्छा मौका दिया — 175 |
26. दसवीं कक्षा की तैयारी पहला काम था — 73 | 63. डी. एम. सर से मिला मुझे मेरा लकी इनाम — 178 |
27. बड़ी खबर — 76 | 64. नोएडा के डी. एम. के साथ चार घंटे बैठना (मेरे लिए गर्व के पल) — 181 |
28. त्रासदी, जिसने मुझे बिल्कुल तोड़ दिया — 78 | 65. डी. एम. सर की किताब ‘तेजस्विनी’ के विमोचन पर मुझे मुख्य अतिथि बनाया गया — 186 |
29. बुआ के इंतकाल के बाद आईं समस्याएँ — 80 | 66. मेरी कोशिश ने मुझे खुश रखा — 190 |
30. विज्ञान पढ़ाने के लिए मुझे नई स्वयंसेविका मिली — 83 | 67. उत्कृष्ट रचनाशीलता का पुरस्कार मिला — 194 |
31. मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती — 85 | 68. मेरी उम्मीदों को मिली राह — 198 |
32. मिसेज संगीता पीछे हट गईं — 87 | 69. अस्पताल में तीन दिन भरती रही — 200 |
33. जीनत ने अपनी समस्या के बारे में नेट पर पढ़ा — 88 | 70. डी. एम. सर की बगल में बैठने का एक और मौका — 206 |
34. विज्ञान शिक्षक की तलाश जारी रही — 91 |
जीनत आरा का जन्म 18 अप्रैल, 1987 में लखनऊ में हुआ। उन्हें स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी है, जिसका पता तब चला, जब वह केवल आठ महीने की थीं। रीढ़ की हड्डी की इस तकलीफ के बावजूद उन्होंने माता भागवंती चड्ढा निकेतन से स्कूली शिक्षा प्राप्त की तथा एन.आई.ओ.एस. से 10वीं व 12वीं की परीक्षा दी।
सम्मान व उप्लब्धियाँ : नोएडा के डी.एम. श्री एन.पी. सिंह द्वारा महिला शिक्षा और सुरक्षा सम्मान; रचनात्मकता कार्यों में उत्कृष्ट योगदान हेतु स्पेश्यली एबल्ड अचीवर्स अवॉर्ड 2015; उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा रानी लक्ष्मीबाई वीरता सम्मान 2016; जिला स्तर पर वीरता पुरस्कार 2016; ‘डिस्ट्रिक्ट आइकॉन’ के टाइटल से सम्मानित; एस.आर.एल. डायग्नॉस्टिक द्वारा वूमन ऑफ सब्स्टांस : सीजन 3’ के टाइटल से सम्मानित।