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"पुलिस सेवा में पुलिस अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं के केंद्र में रहे लेखक की दृष्टि में देशभक्ति के मायने अपनी मातृभूमि के प्रति अपार श्रद्धा और असीम गौरव रखना एवं अपने कर्तव्य का ईमानदारी के साथ निर्वहन करना है, न कि संकीर्ण विचारधारा रखना। अपने देश से प्रेम, उसके प्रति निष्ठा, भारतवासी होने का आत्मगौरव, देश के लिए त्याग व बलिदान की भावना एवं पूर्ण सत्यनिष्ठा व परिश्रम के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना ही राष्ट्रीयता के प्रमुख गुण हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने राष्ट्र के इतिहास में रुचि अवश्य लेनी चाहिए, इसके तीन लाभ निश्चित रूप से होते हैं। प्रथम, इतिहास को व्यक्ति सही अर्थों में समझता है। द्वितीय, राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का विकास होता है एवं तृतीय, इतिहास के बोझ से मुक्ति मिल जाती है, परंतु इतिहास का इस ढंग से विश्लेषण हो कि वह वर्तमान के समान हमारे लिए सहज ग्राह्य हो जाए।
पुलिस अधिकारी रहे श्री हरि प्रसाद शर्मा की यह आत्मकथा 'कर्तव्य पथ' युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति, जीवन-मूल्यों, परंपराओं व मान्यताओं का संचार करेगी और उन्हें राष्ट्रकार्य में प्रवृत्त करेगी, ऐसा हमारा विश्वास है।"